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भारतीय रेल के लिए आज होगा ऐतिहासिक दिन दो ट्रेनों की करवाई जाएगी टक्कर एक ट्रेन में खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार होंगे, तो दूसरी में रेलवे के तमाम वरिष्ठ अधिकारी।

 भारतीय रेल के लिए आज का दिन ऐतिहासिक होगा, जब दो ट्रेन की टक्कर करवाई जाएगी पर भरोसा होगा स्वदेशी ‘कवच’ का। जैसे हर सुरक्षा के लिए कवच लगाया जाता है वैसे ही ट्रेन को एक्सीडेंट से बचाने के लिए भी कवच लग चुका है भरोसा इस बात का कि चाहे कितनी ही विपरीत परिस्थिति क्यों न हो ‘कवच’ ट्रेन की टक्कर नहीं होने देगा। इस भरोसे को परखने के लिए एक ट्रेन में खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार होंगे, तो दूसरी में रेलवे के तमाम वरिष्ठ अधिकारी।
रेल मंत्रालय ने वर्षों के शोध के बाद यह तकनीक विकसित की है। हैदराबाद के सिकंदराबाद में शुक्रवार को इसका परीक्षण किया जाएगा। अफसरों के मुताबिक यह तकनीक इतनी सटीक है कि अगर दो ट्रेन पूरी रफ्तार में आमने-सामने आ जाएं तो भी टक्कर नहीं होगी। लाल सिग्नल पार होते ही ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाएगा। साथ ही, पांच किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेन बंद हो जाएंगी। पीछे से आने वाली ट्रेन को भी कवच बचा लेगा।

 

रेलवे को ‘जीरो एक्सीडेंट’ के लक्ष्य को हासिल करने में सहायता करने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली का निर्माण किया गया है. कवच को एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोकने के लिए विकसित किया गया है. वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जब डिजिटल सिस्टम को रेड सिग्नल या फिर किसी अन्य खराबी जैसी कोई मैन्युअल गलती नज़र आती है, तो ट्रेनें भी अपने आप रुक जाती हैं. उन्होंने कहा कि एक बार लागू होने के बाद इसे चलाने में 50 लाख रुपये प्रति किमी का खर्च आएगा, जबकि पूरे विश्व में ऐसी तकनीक के लिए लगभग 2 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.
ड्राइवर से चूक होने पर कवच अलर्ट करेगा
कवच तकनीक ट्रेन चलाते समय लोको पॉयलट के सभी क्रियाकलापों जैसे ब्रेक, हार्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग करती है। ड्राइवर से इसी प्रकार की चूक होने पर कवच पहले ऑडियो-वीडियो के माध्यम से अलर्ट करेगा। प्रतिक्रिया नहीं होने पर चलती ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे। इसके अलावा ट्रेन को निर्धारित सेक्शन स्पीड से अधिक चलने नहीं देगा। कवच में आरएफआईडी डिवाइस ट्रेन के इंजन के भीतर, सिग्नल सिस्टम, रेलवे स्टेशन पर लगाए जाएंगे। कवच प्रणाली जीपीएस, रेडियो फ्रीक्वेंसी आदि तकनीक से चलाई जाएगी।

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