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भगवान श्रीराम सबके अंतःकरण में वास करते हैं”सनातन धर्म की रक्षा करना मानव समाज का परम कर्तव्य है: व्यासजी*

*“भगवान श्रीराम सबके अंतःकरण में वास करते हैं”सनातन धर्म की रक्षा करना मानव समाज का परम कर्तव्य है: व्यासजी*

*भगवान श्रीराम के अनुजभ्राता लक्ष्मण का जीवन चरित्र त्याग,तपस्या और सेवा भावना से ओतप्रोत है:शास्त्रीजी*

*भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलना प्रत्येक मानव समाज के लिए अनुकरणीय और वन्दनीय है:पंडित अनिलकृष्ण व्यास जी*

 

 

 

 

कोरबा सकोला(कोटमी) में श्री हरिवंश पाण्डेय परिवार द्वारा नवदिवसीय श्रीमद्बाल्मीकि रामायण संगीतमय श्रीराम कथा का भव्य आयोजन किया गया है इस कथा को श्रवण करने आसपास क्षेत्र के नगरवासी ग्रामवासी भक्तजन उपस्थित होकर अमृतमयी कथा का पुण्यलाभ अर्जित कर रहे हैं।

 

 

 

 

 

कथावाचक भागवतभूषण श्री पंडित अनिलकृष्ण शास्त्रीजी महाराज दिल्ली महरौली से पधारकर भक्तों को कथा का रसपान करा रहे हैं।संगीतकारों की बेहतर भजन प्रस्तुति के आगे श्रोता भक्ति में झूम उठते हैं और प्रभु श्रीराम जी की जय जयकारा करते नजर आते हैं।चल रही कथा के दौरान जीवन्त झाँकियों का दर्शन करने और भगवान का पूजन करने का सौभाग्य भी लोगों को प्राप्त हो रहा है।

 

 

 

 

इस कथा आयोजन के दौरान अचानक मौसम परिवर्तन के साथ साथ पानी गिरने और तेज हवायें चलने पर भी भक्तजन पण्डाल में बैठे रह जाते हैं और कथा का भरपूर लाभ उठा रहे हैं।
व्यासपीठ से श्रीराम कथा सुनाते हुए पंडित अनिलकृष्ण शास्त्री जी ने वर्णन किया कि सनातन धर्म की रक्षा करना हम सभी का परम कर्तव्य है भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलना प्रत्येक मानव समाज के लिए अनुकरणीय और वन्दनीय है। भगवान श्रीराम मर्यादा और पवित्र आचरण का पालन कर इस संसार में अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं वहीं त्याग,तपस्या और सेवा भावना का सुंदर मिशाल प्रभु श्रीराम के अनुज लक्ष्मण प्रस्तुत किये हैं। एक आदर्श भ्रातृत्व प्रेम को चरितार्थ करते हुए भौतिक सुख राजपाठ को छोड़कर भगवान की भक्ति में मग्न हो जाना भरत के जीवन चरित्र से सीखने को मिलता है।

 

 

 

 

माता सीता अपने स्वामी के प्रति पूर्ण समर्पण और सेवा भाव प्रस्तुत कर पतिव्रता सतीत्व नारी का सुंदर भाव प्रस्तुत की हैं आशय व्यक्ति के जीवन में सुख या दुःख आये अपने पति धर्म मर्यादा का पालन करते हुये एक शक्ति स्वरूपा बनकर साथ देना चाहिए।
परमव्यास पंडित अनिलकृष्ण शास्त्रीजी ने सातवें दिवस की कथा में व्यासमंच से भगवान श्रीराम के कई सुन्दर चरित्र निषादराज केंवट द्वारा भगवान श्रीराम को पहचानकर गंगा पार उतारना,मतङ्ग मुनि आश्रम में माता शबरी की भक्ति से प्रसन्न होकर सद्गति प्रदान करना, भगवान श्रीराम के स्वरूप से मोहित होकर सूर्पनखा द्वारा विवाह प्रस्ताव रखना,खरदूषण राक्षसों का संहार,लंकाधिपति रावण द्वारा छलकपट कर छद्मवेश धारण करना,गिद्धराज जटायु मोक्ष,भक्त हनुमान मिलाप,रामसुग्रीव की मित्रता बालि वध सुन्दर प्रसंग सुनाते हुये कहा कि रामचरित मानस में कबंध का प्रसङ्ग बहुत संक्षेप में है कबंध शापमुक्त होकर गन्धर्व के रूप में प्रकट होता है गन्धर्व कहता है दुर्वासा मुनि के शाप से मेरी यह दुर्गति हो गई थी। *”ताहि देइ गति राम उदारा।शबरी के आश्रम पग धारा।।*

 

 

 

 

 

श्रीराम को आश्रम में आया देखकर शबरी माता को मतंग मुनि के वचन का स्मरण हो जाता है कि रघुवंशी राम इस आश्रम में आयेंगे शबरी राम के रूप को निहारती हुई चरणों में गिर पड़ती है प्रेम में इतनी मग्न हो जाती है कि मुख से बोल नहीं निकलते।सादर उनके चरणकमल पखारती है और सुंदर आसन पर बैठाकर सरस कंद मूल फल अर्पित करती है जिसे प्रभु श्रीराम ने प्रेम से स्वीकार कर फल खाते हैं।
*सबरी देखि राम गृह आए। मुनि के वचन समुझि मन भाए।सरसिज लोचन बाहु विसाला।जटा मुकुट सिर उर वनमाला।*
भगवान श्रीराम ने शबरी से कहा मैं तो केवल भक्ति का ही सम्बन्ध मानता हूँ।जाति, पाति,कुल,धर्म, बड़ाई,धन-बल,कुटुम्ब, गुण एवं चतुराई इन सबके होने पर भी भक्ति रहित मनुष्य जलहीन बादल के समान लगता है

 

 

 

 

।नवधा भक्ति का सुंदर वर्णन करते हुए उपदेश दिया संतों की संगति सत्संग,श्रीराम कथा में प्रेम,गुरुजनों की सेवा,निष्कपट भाव से हरि का गुणगान,पूर्ण विश्वास से श्रीराम नामजप,इन्द्रिय दमन तथा कर्मों से वैराग्य,सबको श्रीराममय जानना,यथालाभ में संतुष्टि,छलरहित सरल स्वभाव से हृदय में प्रभु का विश्वास, इनमें से किसी भी प्रकार का भक्ति वाला व्यक्ति श्रीराम का परमप्रिय होता है फिर तुझमें तो सभी प्रकार की भक्तिदृढ़ है।उसी के फलस्वरूप आज तुम्हें राम के दर्शन हुये हैं जिससे तुम सहज स्वरूप को प्राप्त करोगी।
कथा आयोजन की सम्पूर्ण व्यवस्था में सक्रिय पंडित विजय तिवारी ,शंकराचार्य शुक्ला ने कहा है कि 26 मई को कथा का विश्राम है इस दिन चढ़ोत्तरी,हवन कार्य पूर्णाहुति सुनिश्चित है तत्पचात 27 मई को उपनयन संस्कार सम्पन्न होने के साथ साथ ब्राह्मण भोजन सत्कार व प्रसादी भण्डारा का कार्य पूर्ण होगा।

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