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डिंडोरी मध्य प्रदेश……….कांग्रेस के कारण पिछडा वर्ग आरक्षण से वंचित : शशांक श्रीवास्तव भाजपा कार्यालय मे आयोजित की गई प्रेसवार्ता…..

प्रशांत सिसोदिया ब्यूरो चीफ और डिंडोरी मध्य प्रदेश……….कांग्रेस के कारण पिछडा वर्ग आरक्षण से वंचित : शशांक श्रीवास्तव
भाजपा कार्यालय मे आयोजित की गई प्रेसवार्ता……………………………

 

 

 

 

भारतीय जनता पार्टी जिला भाजपा कार्यालय डिण्डौरी मे प्रेसवार्ता आयोजित की गई जिसमे प्रदेश द्वारा नियुक्त प्रभारी एवं कटनी के महापौर शशांक श्रीवास्तव ने प्रेसवार्ता को संबोधित किया।

 

 

 

 

प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण करने के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मध्यप्रदेश सरकार पारित आदेश में संशोधन का आवेदन दायर करके पुनः अदालत से आग्रह करेगी कि मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत एवं स्थानीय निकाय चुनाव सम्पन्न हों।

 

 

 

 

बिना ओबीसी आरक्षण के नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव कराये जाने की वर्तमान परिस्थिति कांग्रेस के कारण निर्मित हुई है। मध्यप्रदेश में तो 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव प्रक्रिया चल ही रही थी एवं सरकार द्वारा इसके अंतर्गत वार्ड परिसीमन, वार्डों का आरक्षण, महापौर तथा अध्यक्ष का आरक्षण, मतदाता सूची तैयार करना आदि समस्त तैयारी कर ली गई थी। यहां तक की ओबीसी एवं अन्य उम्मीदवारों द्वारा नामांकन भी दाखिल कर दिया गया था,

 

 

 

 

 

किन्तु कांग्रेस इसके विरूद्ध हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गई, जिससे होने वाले चुनाव प्रभावित हुए एवं व्यवधान उत्पन्न हुआ। कांग्रेस ने अपने याचिकाकर्ताओं मनमोहन नागर, जया ठाकुर व सैयद जाफर के माध्यम से कोर्ट में प्रकरण दाखिल किया गया। इस तरह न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझाकर ओबीसी हितों को कुचलने का काम कांग्रेस द्वारा किया गया है।

 

 

 

 

 

मध्यप्रदेश सरकार ने आयोग बनाकर 600 पेज की जो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की, उसमें प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक परिस्थितियों के साथ एरियावाईज संख्या के आंकड़े विस्तृत रूप से प्रस्तुत किए थे। जिसमें बताया गया था कि 48 प्रतिशत से ज्यादा ओबीसी मतदाताओं की औसत संख्या मध्यप्रदेश में है। कुल मतदाताओं में से अजा/अजजा के मतदाताओं के अतिरिक्त शेष मतदाताओं में अन्य पिछड़ावर्ग के मतदाताओं की संख्या 79 प्रतिशत है।

 

 

 

 

कमलनाथ सरकार द्वारा त्रुटिपूर्ण तरीके से किये गये परिसीमन करते हुए नवीन पंचायतें बनाई गई एवं कई पंचायतों को समाप्त करते हुए उनकी सीमाओं में बदलाव किया गया जिससे ओबीसी को दिया जाने वाला आरक्षण प्रभावित हुआ। हमारे मुख्यमंत्री द्वारा द्वारा 21 नवम्बर 2021 को मध्यप्रदेश पंचायत राज्य और ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश के माध्यम से कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्व में किये गये त्रुटिपूर्ण परिसीमन को निरस्त करते हुए यथास्थिति बनाई। यह कांग्रेस का वह असली ओबीसी विरोधी चेहरा है,

 

 

 

 

 

जो मध्यप्रदेश की विधानसभा के दस्तावेजों में सदैव के लिए साक्ष्य बन गया है।
सीएम शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली प्रदेश की भाजपा सरकार सदैव ओबीसी आरक्षण के पक्ष में रही है एवं यह भाजपा सरकार ही है जिसने विधानसभा में यह संकल्प पारित कराया कि बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव नहीं होना चाहिए। भाजपा सरकार तथा संगठन हमेशा से नगरीय/ग्रामीण निकाय के चुनाव का पक्षधर रहा है।

 

 

 

 

यह सर्वमान्य तथ्य है कि कमलनाथ ने अपनी सरकार के रहते पिछड़ा वर्ग के एक भी अभ्यर्थी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं मिलने दिया, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने मुख्यमंत्री बनने के एक महीने के भीतर ही यह संभव कर दिखाया था। भाजपा ने प्रदेश में वर्ष 2004 से लगातार 3 अन्य पिछडा वर्ग के मुख्यमंत्री प्रदेश को दिये। मंत्रिमण्डलों में भी ओबीसी के मंत्रियों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व/स्थान दिया गया है। केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकार के कई निर्णयों से ओबीसी आरक्षण की प्रतिबद्धता का प्रमाण मिलता है
भाजपा शीघ्र चुनाव कराना चाहती है तथा उसके लिए पहले भी कई बार प्रयास किये गये हैं।

 

 

 

 

 

भाजपा यह भी चाहती है कि चुनाव पिछडे वर्ग के आरक्षण के साथ हो। शीघ्र चुनाव कराये जाने एवं अन्य पिछडा वर्ग आरक्षण के साथ कराये जाने का पुरजोर प्रयास भाजपा सरकार द्वारा किया जा रहा है।

 

 

जिला भाजपा कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बिना 27% ओबीसी आरक्षण के निकाय और पंचायत चुनाव करवाए जाने के निर्देश के बाद भाजपा प्रदेश संगठन के निर्देश पर आयोजित की गई थी। जिसमें सरकार अपना पक्ष जनता तक मीडिया के माध्यम से रखने का प्रयास कर रही है। इस संबंध में जिले में प्रेसवार्ता की जिम्मेदारी कटनी के महापौर शशांक श्रीवास्तव को सौंपी गई थी।

 

 

 

 

जिन्होंने पार्टी का पक्ष रखा और पूरे मामले में कांग्रेस को घेरने की कोशिश करते हुए कांग्रेस पर कई आरोप लगाए। किन्तु सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को आधा अधूरा बताए जाने के कारणों की कोई चर्चा नहीं की और सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार की 27% ओबीसी आरक्षण की दलील क्यों खारिज कर दी इस पर भी कोई खुलासा नहीं किया पूरे मामले में कांग्रेस को दोषी साबित किया ।।।

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